लक्ष्य

महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्‍वविद्यालय के जनक और अधिष्ठाता यह संकल्प लेते हैं कि यह विश्‍वविद्यालय शास्त्रीय मर्यादा की रक्षा करते हुए दैवी भाषा संस्कृत तथा उससे निष्पन्न अन्य भाषाओं एवम् उनके साहित्य, उनमें उपलब्ध प्राचीन ज्ञान के विशाल सागर – जिसमें वैदिक साहित्य और वेदांग तथा उन पर विकसित सम्पूर्ण आगम साहित्य, प्राचीन विज्ञान जैसे आयुर्वेद, ज्योतिर्विज्ञान, भूमिति, गणित, रसायन शास्त्र, धातु शास्त्र, ऋतु विज्ञान, विमान शास्त्र, युद्ध शास्त्र, अश्व शास्त्र, प्राचीन प्राणिशास्त्र, वनस्पति शास्त्र तथा पञ्च भूतात्मक पर्यावरण से सम्बन्धित विज्ञान, स्थापत्य, वास्तु शिल्प, दृश्य,अभिनेय तथा श्रव्य कलाएँ , दण्डनीति तथा अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र एवं प्राचीन प्रशासनिक एवं नैयायिक विधान, पारम्परिक इतिहास, सभ्यताओं के आरोह-अवरोह तथा दर्शन की सभी शाखाऐं – वैदिक, अवैदिक, भारतीय तथा पश्चिमी – का संरक्षण, समुन्नयन एवं प्रचार प्रसार करेगा जिससे वैश्विक ज्ञान का क्षितिज विस्तृत हो एवं वर्तमान वैश्विक समाज के समक्ष सामाजिक और सारस्वत स्तर पर जो प्रश्न आज खड़े हुए हैं, उनके समुचित उत्तर प्राप्त हो सकें जिससे स्पष्टतर दिशाओं के उद्घाटन से ज्यादा सामंजस्यपूर्ण जगत् एवं सुखी मानवता के लिये मार्ग प्रशस्त हो सके। इस प्रयोजन के लिये विश्‍वविद्यालय अपने परिसर में तथा सम्बद्ध महाविद्यालयों के माध्यम से वैश्विक मानदण्ड अपनाते हुए अध्ययन, अध्यापन और शोध सम्बन्धी सेवाएँ प्रदान करेगा।

दृष्टि

भारतीय ज्ञान-विज्ञान, संस्कृति, संस्कार, आस्था, विश्वास, प्रबोधन, सम्बोधन के कालजयी प्रवाह को शाश्वत गति प्रदान करना | संगोष्ठियों, परिसंवादों, व्याख्यानों, सत्रों एवं प्रस्तुतियों के द्वारा प्राचीन ज्ञान विज्ञान का आधुनिक विज्ञान के साथ समन्वय करना तथा नवीन आविष्कारों को जन्म देना | संस्कृत वाङ्मय का विराट् वैभव आत्मसात् कर विश्व को ज्योतिष्मान् और द्योतित करने का संकल्प विश्वविद्यालय का है | भारत के प्राचीन शास्त्रों का संरक्षण, पांडु लिपियों का सम्पादन तथा प्रकाशन कर उनमें निहित ज्ञान विज्ञान के गूढ तत्वों से जनमानस को परिचित कराना | शास्त्रीय ग्रन्थगत प्रत्येक पंक्ति का तर्क सहित अध्ययन, अध्यापन शोध के माध्यम से किया जाना |प्राचीन ज्ञान एवं विज्ञान के सम्बन्ध का परिप्रकाश अनुसन्धान द्वारा किया जाना | व्यावहारिक दृष्टि से संस्कृत वाङ्मय में उपलब्ध तत्त्वों की उपयोगिता का अन्वेषण करना |